ये रातें (प्यार पर कविता)
Hindi kavita on love: मन से निकली परन्तु जबान तक नहीं पहुँची कुछ अनकही बाते, ये राते । ये राते (प्यार पर हिंदी कविता) काले बालों में सिमटा चेहरा चाँदनी में चमक रहा काली झुरमुट घटाओं से चाँद झांक रहा ये नील गगन सी आँखे ये सितारे समेटे हुए इन आँखों के सामने दो दिए जले हुए लफ़्ज़ों की बारिश में भीगूँ मैं इस मुस्कान में खो जाऊं तू बस बोलती रहे मैं इन होंठो पे बस जाऊं ये जो तू शरमाई चाँदनी सिमट आई ये गालो की लाली मेरे मन पे बरसाई बस नहीं है नैनो पे मेरा यह देखते रहना चाहते हैं जब नहीं पाते है तुझको व्याकुल बड़े हो जाते हैं आज इन्हें देख लेने दो इस गगन में इन्हें चमकने दो पता नहीं कब सवेरा हो जाए ये तारे कहीं खो ना जाए -सोमेन्द्र सिंह 'सोम'