गद्य व हिंदी गद्य का विकास
गद्य (Prose) मनुष्य के बोलने, लिखने, पढ़ने की अलंकरणरहित साधारण व व्यवस्थित भाषा जो रचनात्मक व स्पष्टता लिए हो गद्य कही जा सकती है। गद्य शब्दों के भावात्मक संदर्भों (कविता के सामान) के स्थान पर उनके वस्तुनिष्ठ प्रतीक अर्थ को ग्रहण करता है। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है की कविता सर्वथा कथ्य शून्य और गद्य सर्वथा भाव सुनने होता है। गद्य में भाषा की सारी क्षमताएँ वैचारिक अभिव्यक्ति के अधीन होती हैं। गद्य में कथ्य का महत्व सस्ती भावुकता पर अंकुश का काम करता है। गद्य का अनुशासन भाषा सौंदर्य के बोध का उत्तम साधन है। कविता और गद्य (Poem and Prose) अच्छे गद्य के गुणों का होना अच्छी कविता की पहली और कम से कम आवश्यकता है। कविता और गद्य में भावों और रूपों का आदान-प्रदान स्वभाविक है परंतु जहां उनके विशिष्ट धर्मों का बोध नहीं होता वहाँ हमें फूहड़ गद्य व फूहड़ कविता के दर्शन होते हैं। गद्य की लय, कविता की लय से अधिक लोच व विविधता लिए हुए होती हैं। गद्य में लय वाक्य रचना की इकाई मात्र न होकर विचारों की इकाई होती है। रूपो के विकास के आधार पर गद्य के प्रकार रूपों के विकास के आधार पर गद्य के तीन ...
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