शहर को रोते देखा(hindi kavita, gazal in hindi))

शहर को रोते देखा (ग़ज़ल, हिंदी कविता)
Hindi kavita, gazal in hindi and english font

Gazal in hindi

शहर के हाथों शहर की फितरत को खोते देखा
बसन्त चाँदनी में शहर को रोते देखा

ताजमहल को गढ़ने वाले उन हाथों को
आज फिर रोटी के लिए तरसते देखा

नया संकल्प नया वक़्त नया आसमां देखा
हमनें हाइवे से उतरते हिन्दोस्तां को देखा

दो वक़्त की रोटी के लिए आए थे शहरों में
दो वक़्त की रोटी के लिए गाँवों की ओर लौटते देखा

हे शहरवासियों बचा लो अपने शहरों को
'सोम' ने तो धरा को भी बदलते देखा
   
 shahar ke hathon shahar ki fitarat ko khote dekha 
basant chandani mein shahar ko rote dekha

tajamahal ko gadhane vale un hathon ko 
aaj phir roti ke liye tarasate dekha 

naya sankalp naya vaqt naya aasaman dekha 
hamane highway se utarate hindustan ko dekha 

do vaqt ki roti ke lie aae the shaharo mein do vaqt ki roti ke liye ganvon ki or lautate dekha 

he shaharvasiyon bacha lo apane shaharo ko 'som' ne to dhara ko bhi badalate dekha 

-सोमेन्द्र सिंह 'सोम'




Comments

Popular posts from this blog

गद्य व हिंदी गद्य का विकास

जीवन अमूल्य (जिंदगी पर हिंदी कविता)

ये रातें (प्यार पर कविता)