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Showing posts from July, 2020

नव वर्ष नव संवत्सर(हिंदी नववर्ष पर कविता)

नव वर्ष नव संवत्सर नव जीवन को आह्वान दो  तोड़ के सारी रंजिशें, अपने अंश को तुम सम्मान दो | आन बान शान ले , हो चुके है कुर्बान वे  आज धरा पे उतार के , उनको नया जीवनदान दो   संस्कृति तुम इंसान की  ही सभ्यता हो, जिजीविषा में  ही तुम सौम्यता हो  ठोकरों में पले उस फूल को, आज तुम एक नई जान दो  धर्म स्वाहा, जाति स्वाहा, सम्प्रदाय स्वाहा, जल रहा हमारा भविष्य है  इंसान को बस तुम इंसान रहने दो, यही जिंदगी का विषय है  पैरों तले कुचले उन परो को, आज तुम नई उड़ान दो  नव वर्ष नव संवत्सर नव जीवन को आह्वान दो |         -सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

सावन(हिंदी कविता)

सावन का क्षण क्षण मुझे तड़पाता बाहों में आकर ये मौसम तेरी याद दिलाता दिनकर लिए तपन अपनी मुझसे टकराता अंबर यूँ मौन झुक भाव विराट बनाता तूफान हालत देख मेरी खामोश सा ठहर जाता पानी पे भी ये मन तेरी सुन्दर तस्वीर बनाता हवा का हर झोंका एक मौन संवाद कराता मन मेरा उथल पुथल कुछ ना समझ पाता विडंबना है ये वक़्त की सब वीरान नजर आता तड़प बैचेनी का भी कुछ काम नजर आता कोई समझाये किसे ये ना कुछ समझ आता तुझे खोजती इन निग़ाहें में तू नाउम्मीद नजर आता है तू यहां वहां या कहा या मेरा भरम तुझे हर जगह पाता सब प्रयास मेरे तुझे लेकर विफ़ल नजर आता हक़ीकत तूझे लेकर मैं कभी ना सहन कर पाता फिर भी हर बार तू अपना राग मुझे सुनाता और हर बार सावन का क्षण क्षण मुझे तड़पाता बाहों में आकर ये मौसम तेरी याद दिलाता                      पूजा सिंह

गुरु (हिंदी कविता)

गुरु होते जो साथ मेरे हर मुश्किल का हल होता पास मेरे आँचल इनका कितना विशाल है सबकों मानते अपना परिवार है कैसा ये ख़ुदा का कमाल है खुद से बड़ा बताया गुरु को महान है काली रातें गिन गिन न निकालनी पड़े बस इसीलिए इनकी बात न माननी पड़े माँ के बाद इन्होंने ही समझाया हमें गलत करने पर पिता सा फटकारा हमें इनमें हर कामयाबी के राज मेरे सपनों की उड़ान में हर वक़्त साथ मेरे गुरु होते जो साथ मेरे हर मुश्किल का हल होता पास मेरे          - पूजा सिंह

चाँदनी (हिंदी कविता, गीत)

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चाँद को निहारे ये चाँदनी  पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी  अँसुयन की माला पोये  बदलो में चाँद को खोये  बार बार उठा मुखड़े को ये पूछे  रित मिलन की कब होये  रो रो के चिड़ा रही है चाँदनी  पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी   दीप प्यार का जलाए बैठी है  खनक ये कंगन की कहती है इक रोज पूनम की रात होगी  तू भी संग पिया के होगी   डर डर के घूँघट उठा रही है चाँदनी  पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी   सोमेन्द्र सिंह 'सोम'