सावन(हिंदी कविता)
सावन का क्षण क्षण
मुझे तड़पाता
बाहों में आकर
ये मौसम
तेरी याद दिलाता
दिनकर लिए तपन अपनी
मुझसे टकराता
अंबर यूँ मौन झुक
भाव विराट बनाता
तूफान हालत देख मेरी
खामोश सा ठहर जाता
पानी पे भी ये मन
तेरी सुन्दर तस्वीर बनाता
हवा का हर झोंका
एक मौन संवाद कराता
मन मेरा उथल पुथल
कुछ ना समझ पाता
विडंबना है ये वक़्त की
सब वीरान नजर आता
तड़प बैचेनी का भी
कुछ काम नजर आता
कोई समझाये किसे
ये ना कुछ समझ आता
तुझे खोजती इन निग़ाहें में
तू नाउम्मीद नजर आता
है तू यहां वहां या कहा
या मेरा भरम तुझे हर जगह पाता
सब प्रयास मेरे
तुझे लेकर विफ़ल नजर आता
हक़ीकत तूझे लेकर मैं
कभी ना सहन कर पाता
फिर भी हर बार तू
अपना राग मुझे सुनाता
और हर बार
सावन का क्षण क्षण
मुझे तड़पाता
बाहों में आकर
ये मौसम
तेरी याद दिलाता
मुझे तड़पाता
बाहों में आकर
ये मौसम
तेरी याद दिलाता
दिनकर लिए तपन अपनी
मुझसे टकराता
अंबर यूँ मौन झुक
भाव विराट बनाता
तूफान हालत देख मेरी
खामोश सा ठहर जाता
पानी पे भी ये मन
तेरी सुन्दर तस्वीर बनाता
हवा का हर झोंका
एक मौन संवाद कराता
मन मेरा उथल पुथल
कुछ ना समझ पाता
विडंबना है ये वक़्त की
सब वीरान नजर आता
तड़प बैचेनी का भी
कुछ काम नजर आता
कोई समझाये किसे
ये ना कुछ समझ आता
तुझे खोजती इन निग़ाहें में
तू नाउम्मीद नजर आता
है तू यहां वहां या कहा
या मेरा भरम तुझे हर जगह पाता
सब प्रयास मेरे
तुझे लेकर विफ़ल नजर आता
हक़ीकत तूझे लेकर मैं
कभी ना सहन कर पाता
फिर भी हर बार तू
अपना राग मुझे सुनाता
और हर बार
सावन का क्षण क्षण
मुझे तड़पाता
बाहों में आकर
ये मौसम
तेरी याद दिलाता
पूजा सिंह
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