चाँदनी (हिंदी कविता, गीत)
चाँद को निहारे ये चाँदनी
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी
अँसुयन की माला पोये
बदलो में चाँद को खोये
बार बार उठा मुखड़े को ये पूछे
रित मिलन की कब होये
रो रो के चिड़ा रही है चाँदनी
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी
दीप प्यार का जलाए बैठी है
खनक ये कंगन की कहती है
इक रोज पूनम की रात होगी
तू भी संग पिया के होगी
डर डर के घूँघट उठा रही है चाँदनी
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी
सोमेन्द्र सिंह 'सोम'
Nice 👍
ReplyDeleteThanks
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ReplyDelete🙏
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