चाँदनी (हिंदी कविता, गीत)

Hindi kavita geet


चाँद को निहारे ये चाँदनी 
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी 

अँसुयन की माला पोये 
बदलो में चाँद को खोये 
बार बार उठा मुखड़े को ये पूछे 
रित मिलन की कब होये 

रो रो के चिड़ा रही है चाँदनी 
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी  

दीप प्यार का जलाए बैठी है 
खनक ये कंगन की कहती है
इक रोज पूनम की रात होगी 
तू भी संग पिया के होगी  

डर डर के घूँघट उठा रही है चाँदनी 
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी 

सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

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