फ़ितरत(हिंदी कविता)

 दर्द बिखरे पड़े है कतरन में 

घाव हरे हुए हमारी फितरत में


चाहा क्या था 

जो तुझको मिला नही 

दुसरो के दर्द का

है तुझको गिला नहीं 


इस प्यारी दुनिया में क्यों जीते हो नफरत में

मिलना भी नसीब नहीं होगा जन्नत में


दो पल की जिंदगी 

में थोड़ी सी हंसी है 

फिर क्यों ये जिंदगी 

गम की सी है 


इन बेजां दिलो को मिला दे तू महोब्बत  में

महोब्बत को भूल पाना नही है हमारी फितरत में 

Comments

Popular posts from this blog

गद्य व हिंदी गद्य का विकास

जीवन अमूल्य (जिंदगी पर हिंदी कविता)

ये रातें (प्यार पर कविता)