विधायक के घर कविता मंचन(chunavi kavita)

Chunav par kavita, chunavi sayari


A poem that tries to show the reality of the society, in which the distinction between the words and actions of the leaders is told.
एक कविता जो समाज की वास्तविकता को दिखाने की कोशिश करती है, जिसमें नेताओं के शब्दों और कार्यों के बीच का अंतर बताया गया है। 
कविता जीवन पर, मेरी जिंदगी कविता, परेशानी पर कविता, नेताओं पर कविता, चुनावी कविता




चुनावी कविता, नेताओं पर कविता
नेताओं पर कविता

तड़पते समाज की रूपरेखा
बन रही है विस्की के प्यालो में
आज विधायक के घर
कविता का मंचन हुआ

कुछ ठहाके लगे होंगे
कुछ बेवक़्त रोये होंगे
कुछ गोश्त के टुकड़ों पे
विस्की डाले सोये होंगे

सुबह एक किसान के
मरने की खबर
छपी अखबार पे
रख बिस्किट का टुकड़ा
कुत्ते को डाला होगा

फिर मोर्निंग वॉक पे जाते
सामने गली के मैनहोल में
नंगे बदन, तुम्हारी गंदगी से
लथपथ जिस्म लिए
उस लड़के को
बिना सुरक्षा के उतारा होगा

तुम्हारे साथ खड़े वो
चार अफसर, उनको
संविधान का पाठ पढ़ाया होगा

उस बच्ची की घटनाओं को
जातीय जामा पहनाकर
उस भीड़ में
उस पीपल के पेड़ पर
कितनी आसानी से लटकाया होगा

वो संविधान जिसकी शपथ
ली थी कल तुमने
उसकी सुरक्षा, उस पुलिस को
किस भोलेपन से
उसकी बंदूक से उड़ाया होगा

तुम्हारे पर लगे
केस के गवाहों को
कोर्ट के बाहर धमकाया होगा

कितनी सिफारिशें
कितने फोन
कितने लोगों के केस
का निवारण किया होगा

तुम्हारे नारो के बीच
बिलखते कानून के पन्नों ने
दम तोड़ दिया होगा

कितना काम करते हैं विधायक

तड़पते समाज की रूपरेखा
बन रही है विस्की के प्यालो में
आज विधायक के घर
कविता का मंचन हुआ

कविता जीवन पर, मेरी जिंदगी कविता, परेशानी पर कविता, नेताओं पर कविता, चुनावी कविता, Chunav par kavita, chunavi sayari


tadapate samaaj ki 
rooparekha ban rahi hai 
Wishky ke pyalo mein
aaj vidhaayak ke ghar 
kavita ka manchan hua

kuchh thahaake lage honge
kuchh bevaqt roye honge 
kuchh gosht ke tukadon pe
viskee daale soye honge 

subah ek kisaan ke
marane kee khabar 
chhapee akhabaar pe 
rakh biskit ka tukada 
kutte ko daala hoga 

phir morning walk pe jaate
samane gali ke manhole mein 
nange badan, tumhari gandagi se 
lathapath jism lie us ladake ko 
bina suraksha ke utara hoga

tumhare sath khade 
vo chaar aphasar, unako
sanvidhaan ka paath padhaya hoga

us bachchi ki ghatanaon ko
jatiy jaama pahanakar
us bheed mein 
us peepal ke ped par
kitani aasani se latakaya hoga

vo sanvidhaan jisaki shapath
li thi kal tumane 
usaki suraksha, us police ko
kis bholepan se 
usaki bandook se udaaya hoga 

tumhaare par lage 
Case ke gavaahon ko
Court ke baahar dhamakaaya hoga 

kitani sipharishen 
kitane phone
kitane logon ke case
ka nivaaran kiya hoga

tumhaare naro ke beech
bilakhate kaanoon ke 
pannon ne dam tod diya hoga 

kitana kaam karate hain vidhaayak 

tadapate samaaj ki rooparekha
 ban rahi hai wishky ke pyalo
 mein aaj vidhaayak ke ghar 
kavita ka manchan hua


          - सोमेन्द्र सिंह 'सोम'


नेताओं पर कविता, चुनावी कविता, Chunav par kavita, chunavi sayari


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