मीत तेरे नैन(हिंदी कविता, गीत, इश्क़ )
हिंदी कविता, गीत (hindi kavita on love)
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है
सपनो की ख्वाहिशों में
तुम रहती हो,
घूँघट की परछाई में
कुछ कुछ सा कहती हो ,
सुर्ख होंठ तेरे, मुस्कान से भरे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
तुझे देखते ही
धड़कने रुक गयी
कुछ कहने से पहले
जैसे सदिया गुजर गयी
तूम आवाज मेरी रूह की, हुस्न से परे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
याद में उसकी
वक़्त की हर घड़ी को पार करता हूँ
इश्क़ ये कैसा है,
न वो जानती है न मैं कहता हूँ
नैन ये मेरे, ये कहने से डरे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
meet tere nain, ishq se bhare hai
najar mein hai meri, har najar se tare hai
sapano ki khwahishon mein
tum rahati ho,
ghunghat kei parachhai mein
kuchh kuchh sa kahati ho ,
surkh honth tere, ye muskaan se bhare hai
meet tere nain, ishq se bhare hai
tujhe dekhate hi
dhadakane ruk gayi hai ,
kuchh kahane se pahale
jaise sadiya gujar gayi hai,
toom aavaaj meri rooh ki, husn se pare hai
meet tere nain, ishq se bhare hai
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है
सपनो की ख्वाहिशों में
तुम रहती हो,
घूँघट की परछाई में
कुछ कुछ सा कहती हो ,
सुर्ख होंठ तेरे, मुस्कान से भरे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
तुझे देखते ही
धड़कने रुक गयी
कुछ कहने से पहले
जैसे सदिया गुजर गयी
तूम आवाज मेरी रूह की, हुस्न से परे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
याद में उसकी
वक़्त की हर घड़ी को पार करता हूँ
इश्क़ ये कैसा है,
न वो जानती है न मैं कहता हूँ
नैन ये मेरे, ये कहने से डरे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
meet tere nain, ishq se bhare hai
najar mein hai meri, har najar se tare hai
sapano ki khwahishon mein
tum rahati ho,
ghunghat kei parachhai mein
kuchh kuchh sa kahati ho ,
surkh honth tere, ye muskaan se bhare hai
meet tere nain, ishq se bhare hai
tujhe dekhate hi
dhadakane ruk gayi hai ,
kuchh kahane se pahale
jaise sadiya gujar gayi hai,
toom aavaaj meri rooh ki, husn se pare hai
meet tere nain, ishq se bhare hai
Yad me uski
waqt ki har gadi ko par krta hun
Isaq ye kaisa h
Na wo janti h na main kahata hun
Nain ye mere ye kahne se dare h
Meet tere nain isaq ae bhare h
-सोमेन्द्र सिंह 'सोम'
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