भाषा, ध्वनि, शब्द, वाक्य और हिंदी भाषा ( language, sound, word, sentence, hindi language)
यहाँ पर भाषा, ध्वनि, शब्द, वाक्य और हिंदी भाषा का अर्थ तथा उसे परिभाषित करने का प्रयास किया है।
भाषा (Language)
भाषा मनुष्य की अभिव्यक्ति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं व्यापक वाणी का माध्यम है। वक्ता के मुँह ध्वनियों के रूप में व्यक्त होती है किंतु यदि वह ध्वनियों के रूप में व्यक्त न भी हो और वक्ता के मानस में विचार के रूप में ही घुमड़ती रहे तो वह भी भाषा ही है।
इस प्रकार भाषा वह वाणी की व्यवस्था है जो मूल रूप में तो मानसिक रूप लिए होती है और मुँह से व्यक्त होकर ध्वनि रूप में भौतिक रूप ग्रहण करती है। भाषा सामाजिक संपर्क के लिए होती है इसलिए यह मूलतः संवादात्मक है।
ध्वनि, शब्द और वाक्य (Sound, Word and Sentence)
ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई है, किंतु अर्थ के स्तर पर लघुतम इकाई शब्द है। क् ख् ग् आदि ध्वनियाँ हैं पर इनका कोई अर्थ नहीं, किंतु कल, खरगोश, गमला शब्दों में ये ध्वनियाँ ही अन्य ध्वनियों के सहयोग से ऐसे ध्वनि-समूहों की रचना करती हैं जिनका कोई अर्थ होता है और ऐसी सार्थक ध्वनि या ध्वनि समूह शब्द कहलाते हैं।
किंतु शब्द भी कोई मंतव्य नहीं प्रकट कर पाता जब तक कि वह वाक्य में प्रयुक्त नहीं हो जाता। केवल कल कह देने से कोई मंतव्य भी प्रकट नहीं होता इसलिए शब्द भी भाषा की पूर्ण इकाई नहीं है, पूर्ण इकाई तो वाक्य है।
इस प्रकार ध्वनि भाषा की लघुतम और वाक्य भाषा की पूर्ण इकाई है। अपनी भूमिका के आधार पर एक ध्वनि केवल ध्वनि या शब्द अथवा वाक्य का रूप ले सकती है।
जैसे हाँ, सुनो, आ, कहो, क्यों ये एक ही शब्द हैं परंतु ये वक्ता का मंतव्य प्रकट कर रहा है। इस प्रकार एक शब्द वाक्य का रूप ले सकता है।
व्याकरण(Grammar)
जो विद्या भाषा का विश्लेषण करती हो व्याकरण कहलाती है। ध्वनि से लेकर वाक्य तक फैली हुई भाषा के ध्वनि, शब्द, पदांश, पद, वाक्यांश और वाक्य तक की विभिन्न संरचनाएँ हैं, व्याकरण इन सबका विवेचन करती है और ये संरचनाएँ अर्थ की अभिव्यक्ति में जो जो भूमिकाएँ निभाती हैं उनका विश्लेषण करती है।
इस प्रकार व्याकरण एक भाषा के शुद्ध तथा सर्वाधिक सार्थक प्रयोग तथा वाक्य की समस्त संरचनाओं और नियमों का अध्ययन करती है।
हिंदी भाषा (Hindi language)
हिंदी का एक भाषावैज्ञानिक अर्थ है जो हिंदी प्रदेशों में बोली जानी वाली भाषा के संकुल रूप में (कलस्टर रूप में) एक भाषा विशेष के रूप में विकसित हुआ है।
हिंदी भाषा में 5 उपभाषाएँ है और 22 प्रमुख बोलियां है।
(1)पूर्वी हिंदी
बोलियाँ- अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी
(2)पश्चिमी हिंदी
बोलियाँ- ब्रज भाषा, बुंदेली, बाँगरू, कन्नौजी और खड़ी बोली
(3)पहाड़ी
बोलियाँ- कुमायुँनी, गढ़वाली और पश्चिमी पहाड़ी
(4)राजस्थानी
बोलियाँ- मारवाड़ी, हाड़ौती, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, वागड़ी, मालवी और मेवाती
(5)बिहारी
बोलियाँ-भोजपुरी, मगही और मैथिली
इनमें से हिंदी का एक मानक एवं राजभाषायी रूप भी है, जो खड़ी बोली और ब्रिज में विकसित हुआ है। यही मानक रूप पत्रकारिता, साहित्य तथा आम व्यवहार का रूप है।
हिंदी का प्रयोग न केवल भारत में, बल्कि विश्व के अनेक देशों में विशेष रुप से मॉरीशस, फिज़ी, सूरीनाम, त्रिनिदाद आदि देशों में प्रवासी हिंदीभाषियों तथा वहाँ के अन्य नागरिकों द्वारा बोली जाती है।
भ्रांति वश हिंदी और खड़ी बोली पर्याय से हो गए हैं जबकि खड़ी बोली हिंदी की अन्य बोलियों में से एक बोली है, किंतु यह हिंदी के मानक और आम संपर्क के स्वरूप को विकसित कर चुकी है।
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