इंसान का मोल(हिंदी कविता)
भगवान ने इंसान बनाया
इंसान ने धर्म बनाया
धर्म ने धर्म गुरु बनाएं
धर्मगुरुओं ने शिष्य बनाएं
शिष्य आपस में लड़ने लगे
फिर शिष्यों ने अपने अपने
अलग भगवान बनाएं
उन भगवानों ने इंसान बनाएं
फिर सबके भगवान संकट में आ गए
फिर इंसान लड़ने लगे
भगवान, धर्म जिंदा रहे
इंसान का मोल नहीं रहा
अदृश्य अनियमित जिंदा रहे
जीवित चीज का मोल नहीं रहा
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