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Showing posts from September, 2020

पत्थरों से इश्क़(हिंदी ग़ज़ल, कविता)

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पत्थरों से इश्क़(ग़ज़ल) संभल के मिले वो, जो कहते हैं जोड़े आसमां में बनते है लगा ऐसा, मिल जाऊँगा धूल के कणों में तूफानों में कुछ कण आसमां भी छुते है इस रोशनी की तलाश में घूमे हम तभी देख, ग़ज़लों में कैसे जुगनू चमकते है कभी खो ना जाए तू रोशनी के अँधियारो में तेरी गली में यादों के आफ़ताब लेके चलते है हो गया है इश्क़ रास्ते के पत्थरों से ये भी देते है दर्द, जब पैरों में चुभते है -सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

घोषणा पत्र (चुनाव पर कविता)

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मुद्दा, घोषणा पत्र (चुनाव पर कविता)  मुद्दा  चेहरा अधूरा मौसम चुनावी भाषणों का प्रदूषण घटिया गद्य के नमूने निर्मोही घोषणा पत्र   अदब की बात मत कर इल्म इस बात का मत कर संसद का ये शून्यकाल सत्र बगल में दबाये खलीफाओं के पत्र ख़ौफ़ज़दा  बादल पूरा मौसम बेईमानी तुफानो का संप्रेषण उखड़े हुए गलियारे सुने आँधियों का घोषणा पत्र ईमान की ज़हनी मुलाक़ात मत कर कील पत्थरों का व्यापार बंद कर प्रकृति का अघोषित घटनाचक्र लाल खून पे सफेद गोलचक्र इंसां खुदा पूरा सब अनजानी सब मौन चरित्र अपहरण सोयी धरा कि धड़कन सुने निर्मोही घोषणा पत्र             -    सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

कविता, गीत, शायरी (मोहब्बत और जिंदगी)

हिंदी कविता, कविता संग्रह, हिंदी कविता जीवन पर, प्यार पर हिंदी कविता, गीत, मोहब्बत शायरी 15+ हिंदी कविता, कविता संग्रह, गीत, ग़ज़ल, शायरी चाँदनी (गीत,प्यार) चाँद को निहारे ये चाँदनी पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी अँसुयन की माला पोये बदलो में चाँद को खोये बार बार उठा मुखड़े को ये पूछे रित मिलन की कब होये रो रो के चिड़ा रही है चाँदनी पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी  सम्पूर्ण गीत पढ़े पिछवाई(ग़ज़ल, मोहब्बत) चल रही सांय सांय पवन पिछवाई कुरेदकर दिल को हालत समझाई पिटारा खोला जज्बातों के अक्स पे हमारी मंजूषा ने शब्द लहरी गाई शब्द उतरते नहीं, कलम से अब चूम के इनको आदत नई लगाई  और पढ़े एक जमीं तू एक आसमां मैं(गीत,प्यार) एक जमीं तू, एक आसमां मैं क्षितिज के किस कोने मिलोगे ? मैं बिता पल , तू भविष्य वर्तमान में कहाँ मिलोगे ? तू वक़्त की धार पे मै मौत के कगार पे सुरमयी सपनो की परछाई अपनो की किस खाई के पार मिलोगे ? एक जमीं तू, एक आसमां मैं क्षितिज के किस कोने मिलोगे ? और पढे मीत तेरे नैन(कविता, गीत, प्यार) मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है सपनो की ख्वाहिशों में तुम रहती हो, घ...

प्यार- एक यात्रा (2)

चाय सा है यह इश्क़ चाय सा है यह इश्क़, सुबह पहले पल से लेकर, शाम आखिरी पहर तक मुझे यह चाहिए। जैसे उसके ना मिलने से कमी खलती है वैसे ही तुम्हारे ना होने से सब अधुरा लगता है। जैसे ये उबलती है वैसे ही उबलते है मेरे जज़्बात, तुम्हें किसी ओर के साथ देखकर। इसके धुँए में उड़ते देखा है अक्सर अपनी ख्वाहिशों को मैंने। यह हर रंग में ढली है पर मुझे इसका थोड़ा हल्का सा गहरा रंग ही पसंद है। कभी कभी ये कड़क सी लगती है, तुम्हारे रवैए की तरह। कभी कभी चीनी सी मिठास जैसे मेरे लिए तुम्हारी परवाह तुम कहते हो क्या रखा इसमें ? एक खूबसूरत एहसास है जब तुम नहीं होते तब ये मेरे साथ होती हैं। शाम के बादलों के साथ,  सुबह में रोशनी के साथ, बारिश की हल्की बूंदो के साथ, ज़िन्दगी के तूफानों के साथ, रात के चांद के साथ। अंधेरे में तन्हा बैठकर चाय के साथ अनगिनत ख्वाब बुनने का मजा ही कुछ और होता है। इसकी तलब वैसी ही है जैसे कभी कभार तुम्हें देखने को दरवाजे से नजर टिकाए मेरी खामोश आंखे होती है। इसकी लत मुझे तुमसे भी ज्यादा थी क्योंकि तुम भी मेरे लिए इसी की तरह अज़ीज़ हो। पर अब तो 'शायद' 'शायद' कितना अच्छा श...