कविता, गीत, शायरी (मोहब्बत और जिंदगी)
हिंदी कविता, कविता संग्रह, हिंदी कविता जीवन पर, प्यार पर हिंदी कविता, गीत, मोहब्बत शायरी
15+ हिंदी कविता, कविता संग्रह, गीत, ग़ज़ल, शायरी
चाँद को निहारे ये चाँदनी
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी
अँसुयन की माला पोये
बदलो में चाँद को खोये
बार बार उठा मुखड़े को ये पूछे
रित मिलन की कब होये
रो रो के चिड़ा रही है चाँदनी
पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी
पिछवाई(ग़ज़ल, मोहब्बत)
चल रही सांय सांय पवन पिछवाई
कुरेदकर दिल को हालत समझाई
कुरेदकर दिल को हालत समझाई
पिटारा खोला जज्बातों के अक्स पे
हमारी मंजूषा ने शब्द लहरी गाई
हमारी मंजूषा ने शब्द लहरी गाई
एक जमीं तू एक आसमां मैं(गीत,प्यार)
एक जमीं तू, एक आसमां मैं
क्षितिज के किस कोने मिलोगे ?
क्षितिज के किस कोने मिलोगे ?
मैं बिता पल , तू भविष्य
वर्तमान में कहाँ मिलोगे ?
वर्तमान में कहाँ मिलोगे ?
तू वक़्त की धार पे
मै मौत के कगार पे
सुरमयी सपनो की
परछाई अपनो की
किस खाई के पार मिलोगे ?
मै मौत के कगार पे
सुरमयी सपनो की
परछाई अपनो की
किस खाई के पार मिलोगे ?
मीत तेरे नैन(कविता, गीत, प्यार)
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है
सपनो की ख्वाहिशों में
तुम रहती हो,
घूँघट की परछाई में
कुछ कुछ सा कहती हो ,
सुर्ख होंठ तेरे ,ये मुस्कान से भरे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है और पढ़े
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है
नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है
सपनो की ख्वाहिशों में
तुम रहती हो,
घूँघट की परछाई में
कुछ कुछ सा कहती हो ,
सुर्ख होंठ तेरे ,ये मुस्कान से भरे है
मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है और पढ़े
सावन(कविता, प्यार)
सावन का क्षण क्षण
मुझे तड़पाता
बाहों में आकर
ये मौसम
तेरी याद दिलाता
दिनकर लिए तपन अपनी
मुझसे टकराता
अंबर यूँ मौन झुक
भाव विराट बनाता
तूफान हालत देख मेरी
खामोश सा ठहर जाता
पानी पे भी ये मन
तेरी सुन्दर तस्वीर बनाता और पढ़े
मुझे तड़पाता
बाहों में आकर
ये मौसम
तेरी याद दिलाता
दिनकर लिए तपन अपनी
मुझसे टकराता
अंबर यूँ मौन झुक
भाव विराट बनाता
तूफान हालत देख मेरी
खामोश सा ठहर जाता
पानी पे भी ये मन
तेरी सुन्दर तस्वीर बनाता और पढ़े
खुद को वो कवि कहता है(कविता, जिंदगी)
कल्पना, अंत नही जिसका
विचार, एक छोर नही मिला उसका
गुमनाम जिंदगी में
यथार्थ लिखने से डरता है
खुद को वो कवि कहता है
कल्पना, अंत नही जिसका
विचार, एक छोर नही मिला उसका
गुमनाम जिंदगी में
यथार्थ लिखने से डरता है
खुद को वो कवि कहता है
बचपन क्या, उस कटी पतंग जैसे ही है
मिट्टी कि सौंधी खुश्बू में, मुस्कुराहटें क्या वैसे ही है
मिट्टी कि सौंधी खुश्बू में, मुस्कुराहटें क्या वैसे ही है
क्या वैसे ही है , चातक की कहानी
पतझड़ों में है वैसी ही रवानी
क्या वैसे ही दादी की गोद में सोते है
क्या अभी भी शिकायते करती है नानी
है इश्क़ उसे फूलो से
फूल को इश्क़ कहने से डरता है
हाँ वो ,खुद को वो कवि कहता है। और पढ़े
पतझड़ों में है वैसी ही रवानी
क्या वैसे ही दादी की गोद में सोते है
क्या अभी भी शिकायते करती है नानी
है इश्क़ उसे फूलो से
फूल को इश्क़ कहने से डरता है
हाँ वो ,खुद को वो कवि कहता है। और पढ़े
फ़ितरत(कविता, जिंदगी, मोहब्बत)
दर्द बिखरे पड़े है कतरन में
घाव हरे हुए हमारी फितरत में
चाहा क्या था
जो तुझको मिला नही
दुसरो के दर्द का
है तुझको गिला नहीं
जो तुझको मिला नही
दुसरो के दर्द का
है तुझको गिला नहीं
चाँद चेहरा(गीत, प्यार)
चाँद चेहरा
जमीं पे उतरे
बाहें पकड़े
कहे मुझे
जमीं पे उतरे
बाहें पकड़े
कहे मुझे
इश्क़ मेरा
इश्क़ मेरा
इश्क़ मेरा
अँखिया तेरी
जान मेरी
बहती जाती है
बहुत कहा
कुछ कसक
हर बार रह जाती है
जान मेरी
बहती जाती है
बहुत कहा
कुछ कसक
हर बार रह जाती है
सुर्ख़ होंठ
पानी पे उतरे
करे इशारे
कहे मुझे
पानी पे उतरे
करे इशारे
कहे मुझे
इश्क़ मेरा
इश्क़ मेरा
इश्क़ मेरा
नव वर्ष(कविता, जिंदगी)
नव वर्ष नव संवत्सर नव जीवन को आह्वान दो
तोड़ के सारी रंजिशें, अपने अंश को तुम सम्मान दो |
तोड़ के सारी रंजिशें, अपने अंश को तुम सम्मान दो |
आन बान शान ले ,
हो चुके है कुर्बान वे
आज धरा पे उतार के ,
उनको नया जीवनदान दो
हो चुके है कुर्बान वे
आज धरा पे उतार के ,
उनको नया जीवनदान दो
संस्कृति तुम इंसान की
ही सभ्यता हो,
जिजीविषा में
ही तुम सौम्यता हो
ही सभ्यता हो,
जिजीविषा में
ही तुम सौम्यता हो
ठोकरों में पले उस फूल को ,
आज तुम एक नई जान दो
माँ(ग़ज़ल, मोहब्बत)
वो जो तपता है, धूप के तले
राहगीर को छाँव मयस्सर उसके तले
वो जो तपता है, धूप के तले
राहगीर को छाँव मयस्सर उसके तले
पलकों पे आई वो ओंस की बूँद, छु ना सकी मुझको
जब तलक थे हम, माँ के हाथ के तले
जब तलक थे हम, माँ के हाथ के तले
अंतिम यात्रा(कविता, जिंदगी)
सुबह की लाली नहीं है अब होंठों पे
नहीं है अब वो तन की खुश्बू
वो हाथों की नरमाई
वो जिस्म की परछाई
सुबह का उगना भी है
चिड़ियों का चहकना भी है
अब एक नया राग है ,
चिराग है
प्रज्वलित है
शांत है
सौम्य है
सच है
रुदन भी है
मर्म भी है
कातर भी है
पर अनुराग है
हां, ये नया राग है
नहीं है अब वो तन की खुश्बू
वो हाथों की नरमाई
वो जिस्म की परछाई
सुबह का उगना भी है
चिड़ियों का चहकना भी है
अब एक नया राग है ,
चिराग है
प्रज्वलित है
शांत है
सौम्य है
सच है
रुदन भी है
मर्म भी है
कातर भी है
पर अनुराग है
हां, ये नया राग है
सुर्ख़ पत्ता(कविता, जिंदगी)
सुर्ख़ पत्ता टूट कर
अपने प्रियतम से
बैसाखियाँ हवा कि
चल रहा तम में
सुर्ख़ पत्ता टूट कर
अपने प्रियतम से
बैसाखियाँ हवा कि
चल रहा तम में
कौन कहता है
उसका मोल नही
न जाने कब
मृत जमीं की
सुलगती भूख़ में
खाद का अंकुर बो दे
कब इस विराने में
अपना इतिहास खो दे
उसका मोल नही
न जाने कब
मृत जमीं की
सुलगती भूख़ में
खाद का अंकुर बो दे
कब इस विराने में
अपना इतिहास खो दे
पहचान(कविता, जिंदगी)
पहचान है किरदार या
किरदार में है पहचान
किरदार में है पहचान
वक़्त के जंजाल में फंसा ये इंसान
कहाँ है तू और तेरा ईमान
बेफिक्री की चद्दर उतारे
या ख्वाबो से जा मिले
कोई नही सका है जान
कहाँ है तू और तेरा ईमान
बेफिक्री की चद्दर उतारे
या ख्वाबो से जा मिले
कोई नही सका है जान
पहली किरण
भोर की या जुगनू की
अंत है, या शुरुआत
विचारो की या ख्वाबों की
कैसी है ये हयात
भोर की या जुगनू की
अंत है, या शुरुआत
विचारो की या ख्वाबों की
कैसी है ये हयात
इंसान(कविता, जिंदगी)
भगवान ने इंसान बनाया
इंसान ने धर्म बनाया
धर्म ने धर्म गुरु बनाएं
धर्मगुरुओं ने शिष्य बनाएं
शिष्य आपस में लड़ने लगे
भगवान ने इंसान बनाया
इंसान ने धर्म बनाया
धर्म ने धर्म गुरु बनाएं
धर्मगुरुओं ने शिष्य बनाएं
शिष्य आपस में लड़ने लगे
गुरु(कविता)
गुरु होते जो साथ मेरे
हर मुश्किल का हल होता पास मेरे
गुरु होते जो साथ मेरे
हर मुश्किल का हल होता पास मेरे
आँचल इनका कितना विशाल है
सबकों मानते अपना परिवार है
सबकों मानते अपना परिवार है
कैसा ये ख़ुदा का कमाल है
खुद से बड़ा बताया गुरु को महान है
खुद से बड़ा बताया गुरु को महान है
हिंदी कविता, कविता संग्रह, हिंदी कविता जीवन पर, प्यार पर हिंदी कविता, गीत, मोहब्बत शायरी
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