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प्यार की प्यार से मुलाकात ( हिन्दी कविता)

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एक बात जो कह ना सके एक कहानी जो बन गयी कविता और कह रही है अनगिनत बाते उखड़ी हुई सांसे जमी उजास हुआ दिल मे आंखे धूप सी खिली मन हवा के  झोंके सा  गोधूलि में  खुश्बू बिखेरता  तेरे आँगन में ये खुश्बू है  तेरे जलाए खतों की  या तेरे गिरे आँसू में  धुली स्याही की बता कितनी नाकामी के बाद  तूने ये फोन मिलाया डूबते सूरज के प्रकाश में अब क्यों तुझे मैं याद आया एक सवाल बिना पूछे जवाब लाया तेरी सिसकियों में खुद को निरुत्तर पाया तू कोना चांद का वंचित है प्रकाश से मैं सागर हिलोरें ले रहा मात्र तेरे आभास से जाने भी दे सकते थे सब कुछ रहने भी दे सकते थे हम सब कुछ जो तय हुआ था  अठखेलियां करती  गेहूँ की बालियों में क्या इसने याद दिलाई मेरी या उन काँटो ने  जो दो दिन तक  ना निकले तेरे हाथों से या उन सरसों के फूलों ने जो आकर तेरी जुल्फों में अपने होने का आभास  कराते थे या मेरी उन बाहों ने जहां घंटो तुम सो  जाया करती थी या मेरे उन बालों ने  जिसमे तुमने कभी कंघी  नही करने दी या उस क्रिकेट बॉल ने जो मेरा नाक तोड़ गयी मैं दर्द में हंस र...

सोचा नहीं था (हिंदी ग़ज़ल, नज़्म))

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सोचा नहीं था (हिंदी ग़ज़ल , हिंदी कविता, नज़्म) तुमसे नजरे मिलेगी सोचा नही था तुमसे मुलाकात होगी सोचा नही था तुमको पसन्द आएंगे सोचा नही था तुम गोद मे सर रखके गाओगे सोचा नही था नजरो के प्यालो से पी रहे है जिस्म धुंआ उगलता है वो बैठे हैं बगल में तीर सीने से निकलता है हल्की कंपकपी में कम्बल खिसक रही है छत रुकी है मुंडेर सरक रही है लफ्जो की सुगबुगाहट में दिल मिल रहे हैं कहने को दो सांसे है  एक हो रही है मुंडेर पे यूँ हाथ मिल जाएंगे सोचा नही था दो कम्बल एक हो जाएंगे सोचा नही था ठंडी राते सावन बन जाएगी सोचा नही था तुम ऐसे सीने लग जाओगी सोचा नही था एक रात में जिंदगी कहदी  जिंदगी भर जो न कह पाए उस एक पल में जिंदगी भर के हसीन पल साथ गुनगुनाये कुछ लफ्जो ने कही कुछ नजरो ने पढ़ी कुछ धड़कनो के मायने सर्द हवा ने समझाये तुम चाँद की तरह छुप जाओगे सोचा नही था तुम आंसू पी जाओगे सोचा नही था बंद आंखों से मुस्कुराओगे सोचा नही था अलविदा कह पाओगे सोचा नही था तुम मिल पाओगे सोचा नही था -सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

ये रातें (प्यार पर कविता)

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  Hindi kavita on love: मन से निकली परन्तु जबान तक नहीं पहुँची कुछ अनकही बाते, ये राते । ये राते (प्यार पर हिंदी कविता) काले बालों में सिमटा चेहरा चाँदनी में चमक रहा काली झुरमुट घटाओं से चाँद झांक रहा ये नील गगन सी आँखे  ये सितारे समेटे हुए इन आँखों के सामने दो दिए जले हुए लफ़्ज़ों की बारिश में भीगूँ मैं इस मुस्कान में खो जाऊं तू बस बोलती रहे मैं इन होंठो पे बस जाऊं ये जो तू शरमाई चाँदनी सिमट आई ये गालो की लाली मेरे मन पे बरसाई बस नहीं है नैनो पे मेरा यह देखते रहना चाहते हैं जब नहीं पाते है तुझको व्याकुल बड़े हो जाते हैं आज इन्हें देख लेने दो इस गगन में इन्हें चमकने दो पता नहीं कब सवेरा हो जाए ये तारे कहीं खो ना जाए -सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

पत्थरों से इश्क़(हिंदी ग़ज़ल, कविता)

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पत्थरों से इश्क़(ग़ज़ल) संभल के मिले वो, जो कहते हैं जोड़े आसमां में बनते है लगा ऐसा, मिल जाऊँगा धूल के कणों में तूफानों में कुछ कण आसमां भी छुते है इस रोशनी की तलाश में घूमे हम तभी देख, ग़ज़लों में कैसे जुगनू चमकते है कभी खो ना जाए तू रोशनी के अँधियारो में तेरी गली में यादों के आफ़ताब लेके चलते है हो गया है इश्क़ रास्ते के पत्थरों से ये भी देते है दर्द, जब पैरों में चुभते है -सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

घोषणा पत्र (चुनाव पर कविता)

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मुद्दा, घोषणा पत्र (चुनाव पर कविता)  मुद्दा  चेहरा अधूरा मौसम चुनावी भाषणों का प्रदूषण घटिया गद्य के नमूने निर्मोही घोषणा पत्र   अदब की बात मत कर इल्म इस बात का मत कर संसद का ये शून्यकाल सत्र बगल में दबाये खलीफाओं के पत्र ख़ौफ़ज़दा  बादल पूरा मौसम बेईमानी तुफानो का संप्रेषण उखड़े हुए गलियारे सुने आँधियों का घोषणा पत्र ईमान की ज़हनी मुलाक़ात मत कर कील पत्थरों का व्यापार बंद कर प्रकृति का अघोषित घटनाचक्र लाल खून पे सफेद गोलचक्र इंसां खुदा पूरा सब अनजानी सब मौन चरित्र अपहरण सोयी धरा कि धड़कन सुने निर्मोही घोषणा पत्र             -    सोमेन्द्र सिंह 'सोम'

कविता, गीत, शायरी (मोहब्बत और जिंदगी)

हिंदी कविता, कविता संग्रह, हिंदी कविता जीवन पर, प्यार पर हिंदी कविता, गीत, मोहब्बत शायरी 15+ हिंदी कविता, कविता संग्रह, गीत, ग़ज़ल, शायरी चाँदनी (गीत,प्यार) चाँद को निहारे ये चाँदनी पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी अँसुयन की माला पोये बदलो में चाँद को खोये बार बार उठा मुखड़े को ये पूछे रित मिलन की कब होये रो रो के चिड़ा रही है चाँदनी पिया मिलन की आस लगाये चाँदनी  सम्पूर्ण गीत पढ़े पिछवाई(ग़ज़ल, मोहब्बत) चल रही सांय सांय पवन पिछवाई कुरेदकर दिल को हालत समझाई पिटारा खोला जज्बातों के अक्स पे हमारी मंजूषा ने शब्द लहरी गाई शब्द उतरते नहीं, कलम से अब चूम के इनको आदत नई लगाई  और पढ़े एक जमीं तू एक आसमां मैं(गीत,प्यार) एक जमीं तू, एक आसमां मैं क्षितिज के किस कोने मिलोगे ? मैं बिता पल , तू भविष्य वर्तमान में कहाँ मिलोगे ? तू वक़्त की धार पे मै मौत के कगार पे सुरमयी सपनो की परछाई अपनो की किस खाई के पार मिलोगे ? एक जमीं तू, एक आसमां मैं क्षितिज के किस कोने मिलोगे ? और पढे मीत तेरे नैन(कविता, गीत, प्यार) मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है सपनो की ख्वाहिशों में तुम रहती हो, घ...

प्यार- एक यात्रा (2)

चाय सा है यह इश्क़ चाय सा है यह इश्क़, सुबह पहले पल से लेकर, शाम आखिरी पहर तक मुझे यह चाहिए। जैसे उसके ना मिलने से कमी खलती है वैसे ही तुम्हारे ना होने से सब अधुरा लगता है। जैसे ये उबलती है वैसे ही उबलते है मेरे जज़्बात, तुम्हें किसी ओर के साथ देखकर। इसके धुँए में उड़ते देखा है अक्सर अपनी ख्वाहिशों को मैंने। यह हर रंग में ढली है पर मुझे इसका थोड़ा हल्का सा गहरा रंग ही पसंद है। कभी कभी ये कड़क सी लगती है, तुम्हारे रवैए की तरह। कभी कभी चीनी सी मिठास जैसे मेरे लिए तुम्हारी परवाह तुम कहते हो क्या रखा इसमें ? एक खूबसूरत एहसास है जब तुम नहीं होते तब ये मेरे साथ होती हैं। शाम के बादलों के साथ,  सुबह में रोशनी के साथ, बारिश की हल्की बूंदो के साथ, ज़िन्दगी के तूफानों के साथ, रात के चांद के साथ। अंधेरे में तन्हा बैठकर चाय के साथ अनगिनत ख्वाब बुनने का मजा ही कुछ और होता है। इसकी तलब वैसी ही है जैसे कभी कभार तुम्हें देखने को दरवाजे से नजर टिकाए मेरी खामोश आंखे होती है। इसकी लत मुझे तुमसे भी ज्यादा थी क्योंकि तुम भी मेरे लिए इसी की तरह अज़ीज़ हो। पर अब तो 'शायद' 'शायद' कितना अच्छा श...