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Showing posts from May, 2020

अंतिम यात्रा (hindi kavita on life)

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यहाँ स्वरचित 4+ कविताओं का संकलन किया गया है Hindi kavita on life          सुबह की लाली नहीं है अब होंठों पे  नहीं है अब वो तन की खुश्बू  वो हाथों की नरमाई वो जिस्म की परछाई  सुबह का उगना भी है चिड़ियों का चहकना भी है अब एक नया राग है ,  चिराग है  प्रज्वलित है  शांत है  सौम्य है सच है रुदन भी है  मर्म भी है कातर भी है  पर अनुराग है हां, ये नया राग है ये तू नहीं है ज़िन्दगी  ये तेरी प्यास है उस पार इस पार के  बिच में  तेरा यही विनाश है गुस्ताखी की है उस प्रीत से उस निर्मल चित से पर तू नहीं है ये सब  ये वो साया है इस पार  ले गया है जो उस पार  ना चेहरे पे भाव है  ना विकार है  इस सुखी देह का  ना अब आकार है  यही स्थूल है  यही गौण है जिसको समेटा सारी जिन्दगी निराकार वो निर्गुण है ये जितना शांत है  उतना ही सच है  यही इस जिन्दगी का सबसे बड़ा सच है जाना वही पाना वही यहाँ कुछ भी तो नही है subah ki lali nahin hai ab honthon pe  nahin hai ab vo tan ki khushbu vo...

जीना सीख रहा हूँ (hindi kavita on life)

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Hindi kavita (शज़र की छाँव में) जीना सीख रहा हूँ(ग़ज़ल, हिंदी कविता) (जिंदगी पर हिंदी कविता) शज़र की छाँव में जीना सीख रहा हूँ तिनके के सहारे चलना सीख रहा हूँ (Shajar ki chhanv me jeena shikh rha hun, Tinke ke sahare chalna shikh rha hun) एहसासों के बीच में फंसा ज़िन्दगी तेरी बारीकियां सीख रहा हूँ (Ahsaso ke bhich fansa Jindgi teri barikiyan shikh rha hun) तेरे बाँहों के दरमियाँ रहकर  खुद को खुद में जीना सीख रहा हुँ  ( Tere banho ke darimiyan rahkar Khud ko khud me jeena shikh rha hun) अपनी अँगुलियों की हरकतों को अपनी तरफ रख  मै तो जिस्म को तेरे दिल की धड़कनों से जोड़ना सीख रहा हुँ (Apni anguliyo ki harkato ko apni tarf rakh, Main to jism ko tere dil ki dharkano se jodna shikh rha hun) ख़्वाबों में मिलना और ख़्वाबों में आना  इन ख़्वाबों में रहकर तेरे ख़्वाबों में जीना सीख रहा हूँ  (Khwabo me milna aur khwabo me aana, In khwabo me rahakar tere khwabo me jeena sikh rha hun) कब तक दूर रहेगा पतंगा लपटो से  हे दीपक तेरी रोशनी में जाना सीख रहा हूँ  (Kab tak dur rahega ...

मीत तेरे नैन(हिंदी कविता, गीत, इश्क़ )

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हिंदी कविता, गीत (hindi kavita on love) मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है नजर में है मेरी, हर नजर से तरे है सपनो की ख्वाहिशों में तुम रहती हो, घूँघट की परछाई में कुछ कुछ सा कहती हो , सुर्ख होंठ तेरे, मुस्कान से भरे है मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है तुझे देखते ही धड़कने रुक गयी कुछ कहने से पहले जैसे सदिया गुजर गयी तूम आवाज मेरी रूह की, हुस्न से परे है मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है याद में उसकी वक़्त की हर घड़ी को पार करता हूँ इश्क़ ये कैसा है, न वो जानती है न मैं कहता हूँ नैन ये मेरे, ये कहने से डरे है मीत तेरे नैन, इश्क़ से भरे है meet tere nain, ishq se bhare hai najar mein hai meri, har najar se tare hai sapano ki khwahishon mein tum rahati ho, ghunghat kei parachhai mein kuchh kuchh sa kahati ho , surkh honth tere, ye muskaan se bhare hai meet tere nain, ishq se bhare hai tujhe dekhate hi dhadakane ruk gayi hai , kuchh kahane se pahale jaise sadiya gujar gayi hai, toom aavaaj meri rooh ki, husn se pare hai meet tere nain, ishq se bhare hai Yad me uski  waqt ki har gadi ko par krta hun Is...

खुद के अंदर मरते देखा(गज़ल, नज़्म)hindi kavita on life

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मरते देखा(ग़ज़ल, उदास ज़िन्दगी कविता) जिंदगी में ख़्वाबों को इस कदर जलते देखा वो थे ही नहीं वहाँ, दोनो को फिर मरते देखा  दर्द के हर किनारो पे आग से जलते हैं ये अभिनयकार  मैं तो समझा नहीं, पर दर्शको को हँसते देखा  मैं भी खुश हुआ मेरी क़ाबिलियत पे  रात के उजास में फिर जूतों को घिसते देखा  आनन फानन मैंने भी बुने ख्वाब बड़कुल्या के माफ़िक होली की हर लपटो के साथ धुँआ उनका निकलते देखा  कैसे समझता तेरी समझ को बंद दरवाजो के पीछे  हमारा तो शौक हवाओ का, उसमे भी अपने आप को झूलते देखा  परछाई, जुगनू, चाँदनी 'सोम' अँधेरे के बस एक किनारे है  हर जिन्दा होने वाले शख्स को, खुद के अंदर मरते देखा                     - सोमेन्द्र सिंह 'सोम' jindagi mein khvabon ko is kadar jalate dekha vo the hi nahin vahan, dono ko phir marate dekha  dard ke har kinaro pe aag se jalate hain ye abhinayakar main to samajha nahin, par darshako ko hansate dekha  main bhi khush hua meri qabiliyat pe raat ke ujas mein phir juton...

थोड़ा तो हिंदुस्तान मानता होगा (गज़ल)( hindi kavita on majdur)(मज़दूर ग़ज़ल)

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कविता, ग़ज़ल, मजदूरों पर ग़ज़ल, जिंदगी पर हिंदी कविता, hindi kavita on life, life poem, life poetry, jindgi ki hakikat, jindgi par hindi kavita संकट की इस घड़ी में जब सारे देशवासी एकजुट होकर महामारी से लड़ने का प्रयास कर रहे थे । तभी कुछ लोग अपनी सामान्य जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हो गए तथा वे खाने की तलाश में, अपने बच्चों को  भूखमरी से बचाने के लिए वापिस अपने राज्य, अपने शहर, अपने गांव को लौटने लगे।  हमने भारत का सबसे बड़ा अंतरराज्यीय पलायन होते देखा। आजादी के बाद का सबसे बड़ा पलायन हुआ।  बहुत से लोगों ने इनकी सहायता की तथा इनको अपने स्थान तक सकुशल पहुंचाने में मदद की। परंतु सियासतदारो का एक तबगा फिर भी राजनीति से बाज नहीं आया और सारी गलती इस हिंदुस्तान पर डाल दी जो दो वक्त की रोटी के लिए सड़कों पर निकल पड़ा था। इन्ही सियासतदारों की हकीकत को बयां करने का प्रयास करती एक कविता। हिंदुस्तान मानता होगा(ज़िन्दगी पर हिंदी कविता, मजदूरों पर ग़ज़ल) वो जब भी खुद के अंदर झाँकता होगा खुद की तस्वीर देखकर काँपता होगा मैं आईना तो नहीं, छाँव भर हुँ वह मुझे थोड़ा तो हिंदुस्तान मानता होगा तू...

मुफ़लिसी का दौर है(hindi kavita, gazal)

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