बेइंतहा ( gazal hindi)

बेइंतहा रहने दो (ग़ज़ल हिंदी)

अपनों को विदा करना, अलविदा कहना कितना मुश्किल है? सबकुछ कहा फिर भी बहुत कुछ बाकी है। इसमें प्यार है, जाने का दर्द है, दर्द में आने वाला गुस्सा है। इस दर्द को जब वह आँखों मे उतारता है और देखता है तो लगता है जैसे आत्मा शरीर से अलग हो रही है, उसके साथ जा रही है। इन्हीं भावनाओं को समेटे एक हिंदी गजल (हिंदी कविता)


बेइंतहा ग़ज़ल हिंदी
ग़ज़ल प्यार मोहब्बत

ज़िन्दगी बेइंतहा बेइंतहा रहने दो
तुम पास ना आओ दूर ही रहने दो

यादे लेके तो जा रहे हो
अब आँख में आँसू तो रहने दो

तुम्हारे दर पर सब खाली है
इन गुलों में खुशबू तो रहने दो

कल गमेवक्त भी पूछ रहा 
मुझमे मोहब्बत तो रहने दो

इतनी सजा न दो बेपरवाह रात की
बिस्तर में थोड़ी सलवटें तो रहने दो

अब आंखे ना मिलाओ सोम से यूँ
जिस्म में रूह तो रहने दो 

zindagi beintaha beintaha rahane do 
tum pas na aao door hi rahane do 

yaade leke to ja rahe ho 
ab aankh mein aansoo to rahane do

tumhare dar par sab khali hai 
in gulon mein khushaboo to rahane do 

kal gamevakt bhi puchh raha 
mujhame mohabbat to rahane do 

itani saja na do beparavah raat ki
bistar mein thodi salavaten to rahane do 

ab aankhe na milao 'som' se yoon 
jism mein rooh to rahane do

-सोमेन्द्र सिंह 'सोम'



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