पिछवाई (ग़ज़ल, हिंदी कविता)
पिछवाई (पश्चिमी हवाएं)(हिंदी कविता) चल रही सांय सांय पवन पिछवाई कुरेदकर दिल को हालत समझाई पिटारा खोला जज्बातों के अक्स पे हमारी मंजूषा ने शब्द लहरी गाई शब्द उतरते नहीं, कलम से अब चूम के इनको आदत नई लगाई स्याही दर्पण सी, हो गई है अब जिंदगी के पन्नों पे उसकी ही परछाई ज़िस्म फ़रियाद करे नए आगाज-ए-वक़्त का कहाँ से लाए 'सोम', अब वो हवा पिछवाई सोमेन्द्र सिंह 'सोम' हिंदी ग़ज़ल संग्रह, ज़िन्दगी पर हिंदी कविता, जीवन पर हिंदी ग़ज़ल, प्रयोगात्मक हिंदी ग़ज़ल यहाँ पढ़े Hindi love sayari अंतिम यात्रा (ज़िन्दगी पर हिंदी कविता)(hindi kavita on life) आपको हमारा ये प्रयास कैसा लगा हमें comment करके बताए। आप हमें कोई सुझाव देना चाहते है तो वो भी हमें mail कर सकते हैं। आपके सुझावों का इन्तज़ार रहेगा। आपके सुझाव ही हमे और अधिक अच्छा लिखने और समझने के लिए प्रेरित करते है। अगर आप अपनी कोई कविता, ग़ज़ल या कोई अन्य रचना हमारे ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो आप हमें वो रचना अपने नाम के साथ भेज सकते है वो हमारे ' नई कलम ' शीर्षक में आपके नाम के साथ प्रकाशित होगी। आपकी रचनाओं का स्वागत है। आपकी रचनाओ पर...